जल है तो ही जीवन है (Hindi)
PoetrySachin Kumar Sahu
This poem is a brief explanation about the omnipresence of water and its usefulness in our lifestyles.
मानव की यह प्रथम जरूरत
कोई जीव जंतु या पौधा,
जल के बिना पनप नहीं सकता।
पानी बिना देख लो जग में,
कोई जीवित रह नही सकता।
सुबह से काम शुरु पानी से,
खाना पीना सब पानी से।
जल ही जीवन इतना जानो,
पानी की कीमत पहचानो।
देश के हर राज्यों में देखो,
पानी हरदम सुलभ नहीं है।
जहां नहीं पर्याप्त है पानी,
वहाँ का जीवन बहुत कठिन है।
शहर गॉव बढ़ती आबादी,
पानी की कितनी बर्बादी।
बढ़ती रोज जरूरत इसकी,
रोको अब बर्बादी इसकी।
करें संग्रहित वर्षा का जल,
सोच समझ कर खोले हम नल।
नल से हर घर जल पहुंचाएं,
पुनः प्रयोग कर जल बचाए।
कमी पड़ गई गर पानी की,
हाहाकार मचेगा एक दिन।
सोच समझ कर करें कार्य तो,
कभी नहीं आएगा वो दिन।
अभी से इस पर दें हम ध्यान।
शुरू करें नदियों पर काम।
पर्यावरण संरक्षित होगा।
पानी खूब एकत्रित होगा।
धन्यवाद।
सचिन कुमार साहू