ऐ-खुदा!
PoetryAbhishek
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ऐ - खुदा! मैं अपना जहान बसाऊंगा अब
ना खुदा होगा, ना द्वेष होगा
ना दरिया होगा, ना प्यास होगी
ना भूख होगी, ना कोई लाचार होगा
ना सरहदें होगी, ना War होगा
ना धर्म होगा, ना जाति पहचान होगी
ना जिस्म होगा, ना लिबास होगा
ना इंसान होगा, ना हैवानियत सरेआम होगी
ऐ - खुदा! मैं अपना जहां बसाऊंगा अब
हां, अकेला ही सही मगर मैं अपना जहां बसाऊंगा अब