College Life
PoetryAbhishek
This poem is a tribute to the ever-evolving nature of life and the people we share it with. As we move forward in our lives, there is a part of us that longs for our old friends who helped us shape into who we are today.
अजब सी बेचैनी, मगर ख़्वाबों का सैलाब
नई जगह, नया सफर, अनजान लोग
ना मुश्किलों का आभास, ना सफर की खूबसूरती का अहसास
वो सुदामा दी चाय, वो लंगर दा प्रसाद
वो गुड़मंडी दी ताश, वो रामजस दा मैदान
वो पहली मुहब्बत, वो आखिरी मुलाकात
कुछ दूर साथ चलना, फिर अपनों से बिछड़ना
घर से निकलना, ख़्वाबों के पीछे शहर बदलना
ना ख़्वाबों की सीमा, ना अब पीछे है मुड़ना
जिंदगी के सफर में, आखिर अकेले ही है चलना